सिल्क पर घोडाघाडी हांकते ग्रामीण युगल , कुंए पर पानी भरती पनिहारी
देष भर से आया 200 तरह का सिल्क षहर में


 देष भर के विभिन्न प्रांतों में सिल्क के वस्त्र तैयार करने वाले बुनकरों को अपनी कला के प्रदर्षन के लिए एक मंच देने के मकसद से 10 दिवसीय सिल्क आॅफ इंडिया का आयोजन किया गया। इस प्रदर्षनी में कलकत्ता , असम , बंगाल , बिहार , उत्तरप्रदेष आदि स्थानों से बुनकर अपने परंपरागत बुनाई वस्त्रों को प्रदर्षित किये है। प्रदर्षनी मे आए  बुनकरों ने सिल्क पर रंगों से खुबसुरत पेंटिंग तैयार की है। 
उपरोक्त जानकारी ग्रामीण हस्तकला विकास समिती के सचिव श्री जयेष गुप्ता ने दी उन्होने बताया कि   संस्था देष भर दूरस्थ अचंलो के उन बुनकरों को अपनी कला के प्रदर्षन के लिए मंच उपलब्ध करा रही है जो कई दषको से सिल्क कला को जीवित रखे हुए है। इसी प्रयास के तहत संस्था द्वारा टल क्वींस क्लब आॅफ इंडिया में 10 अप्रेल  तक  सिल्क आॅफ इंडिया प्रदर्षनी का आयोजन किया जा रहा है इस भव्य प्रदर्षनी में देष के विविध प्रांतो की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले बुनकरों द्वारा अपने सिल्क उत्पादों का प्रदर्षन किया जा रहा है। 


इन बुनकरों ने अपनी साडियांे पर कलात्मकता का जोरदार चित्रण किया है। घोडाघाडी हांकते ग्रामीण युगल , पानी भरने कुंए पर जाती महिलाए , डूबते सूरज में ग्रामीण जीवन का चित्रण बहुत ही खुबसुरती से किया है। कलकत्ता से आए बुनकर फहीम ने अपनी साडियों पर नखराली दुल्हन का चित्र उकेरा है। एके्रलिक रंगांे से जूट सिल्क पर उकेरी ये कलाकृति सभी को अपनी ओर खींच रही है। 
टसर सिल्क , मटका सिल्क , कोसा सिल्क , कांजीवरम सिल्क , राॅ सिल्क , भागलपुरी सिल्क के  इन वस्त्रों पर बुनकरो ने बुनाई के बाद एक जंहा ब्लाक प्रिंट की छाप छोडी है वंही चितेरे की तरह ब्रष से भारत की विविध संस्कृति के दर्षन कराए है। इस प्रदर्षनी में आने वाले सिल्क वस्त्रों पर परपंरागत डिजायनों के साथ ही आधुनिकता का संगम भी बुनकरों ने बडी खुबसुरती के साथ किया है
इसके साथ ही प्रदर्षनी में छत्तीसगढ से कोसा सिल्क , घिचा सिल्क साडी , मलबरी राॅ सिल्क ,ब्लाॅक प्रिन्टेड सिल्क साडी , गुजरात से बान्धनी , पाटोला कच्छ एम्ब्रोयडरी , गुजराती मिरर वर्क एवं डिजायनर कुर्ती , जम्मू कष्मीर से तबी सिल्क साडी ,पष्मिना ष्षाॅल ,चिनान सिल्क साडी , मध्यप्रदेष से चंदेरी ,माहेष्वरी काॅटन एण्ड सिल्क साडी सुट , उडीसा से बोमकाई , संभलपुर राजस्थान से बंधेज ,बांधनी सिल्क साडी , जयपुर कुर्ती ,ब्लाॅक प्रिन्ट , सांगानेरी प्रिन्ट , कोटा डोरिया उत्तर प्रदेष से तंचोई बनारसी , जामदानी, जामाबार ,ब्रोकेट ड्रेस मटेरियल लखनवी चिकन, पष्चिम बंगाल से ष्षाति निकेतन , काथां साडी डिजाइनर साडी , बालुचरी , नीमजरी साडी, धाकई जामदानी एवं महाराष्ट्र की लोकप्रिय जरी पैठणी साडियाॅ प्रस्तुत की गई है।


ग्रामीण हस्तकला विकास समिती के सचिव श्री जयेष गुप्ता ने बताया कि प्रदर्षनी 10 अप्रेल  तक चलेगी   इसमें प्रवेष पुरी तरह निषुल्क है। कला प्रेमी सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक प्रदर्षनी देखने के लिए आमंत्रित है। 

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